18. लोक अभियोजक। - ( 1 ) प्रत्येक उच्च न्यायालय के लिए, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के परामर्श के पश्चात् एक लोक अभियोजक नियुक्त करेगी और ऐसे न्यायालय में, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार की ओर से कोई अभियोजन, अपील या अन्य कार्यवाही संचालित करने के लिए एक या अधिक अपर लोक अभियोजक भी नियुक्त कर सकती है:

परंतु राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए, केन्द्रीय सरकार, दिल्ली उच्च न्यायालय के परामर्श के पश्चात्, इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजकों की नियुक्ति करेगी।

(2)    केन्द्रीय सरकार किसी भी जिले या स्थानीय क्षेत्र में किसी मामले के संचालन के लिए एक या एक से अधिक लोक अभियोजकों की नियुक्ति कर सकती है।

(3)    प्रत्येक जिले के लिए राज्य सरकार एक लोक अभियोजक नियुक्त करेगी और जिले के लिए एक या एक से अधिक अतिरिक्त लोक अभियोजक भी नियुक्त कर सकती है:

परंतु एक जिले के लिए नियुक्त लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक को किसी अन्य जिले के लिए भी, यथास्थिति, लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त किया जा सकेगा।

(4)    जिला मजिस्ट्रेट, सत्र न्यायाधीश के परामर्श से, ऐसे व्यक्तियों के नामों का एक पैनल तैयार करेगा, जो उसकी राय में जिले के लिए लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त किए जाने के योग्य हों।

(5)    राज्य सरकार द्वारा किसी व्यक्ति को जिले के लिए लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक उसका नाम उपधारा ( 4 ) के अधीन जिला मजिस्ट्रेट द्वारा तैयार नामों के पैनल में न हो।

(6)    उपधारा ( 5 ) में किसी बात के होते हुए भी, जहां किसी राज्य में अभियोजन अधिकारियों का नियमित संवर्ग विद्यमान है, वहां राज्य सरकार ऐसे संवर्ग का गठन करने वाले व्यक्तियों में से ही लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक की नियुक्ति करेगी:

परंतु जहां राज्य सरकार की राय में, ऐसी नियुक्ति के लिए ऐसे संवर्ग में कोई उपयुक्त व्यक्ति उपलब्ध नहीं है, वहां वह सरकार उपधारा ( 4 ) के अधीन जिला मजिस्ट्रेट द्वारा तैयार किए गए नामों के पैनल में से किसी व्यक्ति को, यथास्थिति, लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त कर सकेगी।

स्पष्टीकरण- इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए , -

(a)              " अभियोजन अधिकारियों का नियमित संवर्ग" से अभियोजन अधिकारियों का संवर्ग अभिप्रेत है, जिसमें लोक अभियोजक का पद, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए, सम्मिलित है और जो उस पद पर सहायक लोक अभियोजकों, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए, की पदोन्नति का प्रावधान करता है;

(b)              "अभियोजन अधिकारी" से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए, जिसे इस संहिता के अंतर्गत लोक अभियोजक, विशेष लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक के कार्यों को निष्पादित करने के लिए नियुक्त किया गया हो।

(7)    कोई व्यक्ति उपधारा ( 1 ) या उपधारा ( 2 ) या उपधारा ( 3 ) या उपधारा ( 6 ) के अधीन लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त होने के लिए तभी पात्र होगा, जब वह कम से कम सात वर्ष तक अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करता रहा हो।

(8)    केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार किसी मामले या मामलों के वर्ग के प्रयोजनों के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त कर सकती है, जिसने अधिवक्ता के रूप में कम से कम दस वर्ष तक प्रैक्टिस की हो:

परंतु न्यायालय पीड़ित को इस उपधारा के अधीन अभियोजन की सहायता के लिए अपनी पसंद का अधिवक्ता नियुक्त करने की अनुमति दे सकेगा।

 

(9)    उपधारा ( 7 ) और उपधारा ( 8 ) के प्रयोजनों के लिए, वह अवधि, जिसके दौरान कोई व्यक्ति अधिवक्ता के रूप में व्यवसाय करता रहा है, या उसने (इस संहिता के प्रारंभ से पूर्व या पश्चात्) लोक अभियोजक के रूप में या अपर लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक या अन्य अभियोजन अधिकारी के रूप में, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, सेवा की है, वह अवधि समझी जाएगी, जिसके दौरान ऐसा व्यक्ति अधिवक्ता के रूप में व्यवसाय करता रहा है।

19. सहायक लोक अभियोजक.- ( 1 ) राज्य सरकार मजिस्ट्रेट के न्यायालयों में अभियोजन चलाने के लिए प्रत्येक जिले में एक या एक से अधिक सहायक लोक अभियोजकों की नियुक्ति करेगी ।

(2)    केन्द्रीय सरकार मजिस्ट्रेट की अदालतों में किसी मामले या मामलों के वर्ग के संचालन के प्रयोजन के लिए एक या एक से अधिक सहायक लोक अभियोजकों की नियुक्ति कर सकती है।

(3)    उपधारा ( 1 ) और ( 2 ) में अंतर्विष्ट उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जहां किसी विशिष्ट मामले के प्रयोजनों के लिए कोई सहायक लोक अभियोजक उपलब्ध नहीं है, वहां जिला मजिस्ट्रेट राज्य सरकार को चौदह दिन का नोटिस देने के पश्चात किसी अन्य व्यक्ति को उस मामले का भारसाधक सहायक लोक अभियोजक नियुक्त कर सकेगा:

परन्तु कोई भी पुलिस अधिकारी सहायक लोक अभियोजक नियुक्त होने के लिए पात्र नहीं होगा, यदि वह-

(a)         उस अपराध की जांच में कोई भाग लिया है जिसके संबंध में अभियुक्त पर मुकदमा चलाया जा रहा है; या

(b)         इंस्पेक्टर के पद से नीचे है।

अभियोजन निदेशालय .-- ( 1 ) राज्य सरकार ,--

(a)              राज्य में एक अभियोजन निदेशालय जिसमें एक अभियोजन निदेशक और उतने अभियोजन उपनिदेशक होंगे, जितने वह ठीक समझे; तथा

(b)              प्रत्येक जिले में एक जिला अभियोजन निदेशालय होगा जिसमें उतने उप निदेशक और सहायक अभियोजन निदेशक होंगे, जितने वह उचित समझे।

(2)    कोई व्यक्ति नियुक्ति के लिए पात्र होगा ,—

(a)              अभियोजन निदेशक या अभियोजन उप निदेशक के रूप में, यदि वह कम से कम पंद्रह वर्ष तक अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस कर चुका है या सत्र न्यायाधीश है या रहा है;

(b)              सहायक अभियोजन निदेशक के रूप में, यदि वह कम से कम सात वर्ष तक अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस कर चुका हो या प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट रहा हो।

(3)    अभियोजन निदेशालय का नेतृत्व अभियोजन निदेशक करेंगे, जो राज्य में गृह विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करेंगे।

(4)    प्रत्येक उप अभियोजन निदेशक या सहायक अभियोजन निदेशक अभियोजन निदेशक के अधीनस्थ होगा; और प्रत्येक सहायक अभियोजन निदेशक अभियोजन उप निदेशक के अधीनस्थ होगा।

(5)    उपधारा ( 1 ) या उपधारा ( 8 ) के अधीन राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रत्येक लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक और विशेष लोक अभियोजक अभियोजन निदेशक के अधीनस्थ होगा।

(6)    की उपधारा ( 3 ) या उपधारा ( 8 ) के अधीन राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रत्येक लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक और विशेष लोक अभियोजक तथा धारा 19 की उपधारा ( 1 ) के अधीन नियुक्त प्रत्येक सहायक लोक अभियोजक अभियोजन उप निदेशक या अभियोजन सहायक निदेशक के अधीनस्थ होगा।

(7)    अभियोजन निदेशक की शक्तियां और कार्य ऐसे मामलों की निगरानी करना होगा जिनमें अपराध दस वर्ष या उससे अधिक, या आजीवन कारावास, या मृत्यु दंड से दंडनीय हो; कार्यवाही में तेजी लाना और अपील दायर करने पर राय देना।

(8)    अभियोजन उपनिदेशक की शक्तियां और कार्य पुलिस रिपोर्ट की जांच और संवीक्षा करना तथा उन मामलों की निगरानी करना होगा जिनमें अपराध सात वर्ष या उससे अधिक, किन्तु दस वर्ष से कम के लिए दंडनीय हैं, ताकि उनका शीघ्र निपटान सुनिश्चित किया जा सके।

(9)    अभियोजन के सहायक निदेशक का कार्य ऐसे मामलों की निगरानी करना होगा जिनमें अपराध के लिए सात वर्ष से कम की सजा हो।

(10)उपधारा ( 7 ), ( 8 ) और ( 9 ) में किसी बात के होते हुए भी, अभियोजन निदेशक, उप निदेशक या सहायक निदेशक को इस संहिता के अधीन सभी कार्यवाहियों से निपटने और उनके लिए जिम्मेदार होने की शक्ति होगी।

(11)अभियोजन निदेशक, अभियोजन उप निदेशकों और अभियोजन सहायक निदेशकों की अन्य शक्तियां और कार्य तथा वे क्षेत्र जिनके लिए अभियोजन उप निदेशकों या अभियोजन सहायक निदेशकों में से प्रत्येक की नियुक्ति की गई है, वे होंगे जिन्हें राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे।

(12)इस धारा के प्रावधान राज्य के महाधिवक्ता पर लोक अभियोजक के कार्य करते समय लागू नहीं होंगे।